Sunday 4 October 2015

सन्देश

गर जो तू दोस्त है,तो दोस्ती क्यों नहीं निभाता है
गर फ़िक्र होती  है तुझे मेरी,तो क्यों नहीं जताता है
गर वादा करता है मुझसे,तो निभाने से क्यों डरता है
गर तू मीत है मेरा,मेरी हर बात क्यों ठुकराता है
गर विश्वास है मुझपे,तो भी बतलाने से क्यों कतराता है
गर ये बस ज़िद है तेरी,तो क्यों इतनी खुदगर्जी दिखलाता है
ऐ दोस्त बता तू जब जरुरत होती है तेरी
तो तू कहाँ चला जाता है
तू कहाँ चला जाता है ...........तू कहाँ चला जाता है .....