कभी कभी वो परमेश्वर भी अपने होने का एहसास दिलाता है और बतलाता है कि वो हमसे कितना प्यार करता है,कितनी फ़िक्र करता है हमारी
इसी बात पे वसीम बरेलवी साहब का शेर याद आता है....
इसी बात पे वसीम बरेलवी साहब का शेर याद आता है....
खुली छतों के दीये कब के बुझ गए होते
पर कोई तो है जो आँधियों के पर कतरता हैं
-वसीम बरेलवी
पर कोई तो है जो आँधियों के पर कतरता हैं
-वसीम बरेलवी
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